साहित्य चक्र

24 May 2021

पेड़ लगाओ पृथ्वी बचाओ



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धूल धुँआ कहाँ तक झेलेगा आदमी
ध्वनि वायु जल प्रदूषित हो रहा है

जंगल के पेड़ धीरे धीरे कम हो रहे
वन्य जीवों की प्रजातियाँ लुप्त हैं

हरियाली अब दिखती नहीं कहीं भी
धरती तवे सी जल रही दिनों दिन है

ओजोन परत में छेद हो गया 
 सूरज की किरणें सीधी पड़ रही

प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ गया है
जिम्मेदार कौन है इन सभी का

केवल मनुष्य जो स्वार्थी हो रहा
पेड़ों को काट रहा और तरस रहा

शुद्ध हवा पेड़ देंगे फल फूल सभी
गोंद लकड़ी दवाई पेड़ देंगे फिर भी

पेड़ लगाओ पृथ्वी बचाओ मिलकर
ये आज की महती जरूरत है दोस्तों

जिसने जीवन मे पेड़ नहीं लगाया
वह गाड़ी  के लिए छाया देखता

प्राणवायु कहाँ से लाओगे तुम
सारे पेड़ काट दोगे अगर तुम

                                   डॉ. राजेश पुरोहित


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