साहित्य चक्र

09 May 2021

*माँ*



चाहे  धरती हो  या आकाश 
बिन माँ के ये भी रहे उदास ।
बच्चों  की हों पूरी हर आस 
रब से करें यही माँ अरदास ॥

रखती न  कभी  माँ अवकाश 
खुशियों के लिए रखें उपवास ।
माँ का आंचल न जाने क्यों है
खुदा  भी  करता   है  तलाश ॥

 माँ ने रखा सर पर जब - जब हाथ 
मानों भगवान चल रहे हो मेरे साथ। 
माँ हीं साया बनकर रहती आसपास
तभी तो हर परीक्षा में हुए हम पास ।।

                        ✍️गोपाल कौशल

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