साहित्य चक्र

22 May 2021

पथिक




तू पथिक तेरा काम है चलना
माना राहें मिलेंगी ना आसान
कभी भूलेगा कभी गिरेगा
कभी राह में काँटा भी चुभेगा
पर कर्म के पथ पर रहकर अडिग
तुझको अपने कर्म है करना
क्योंकि तू पथिक तेरा काम है चलना
जीवन  क्या इक सफर ही तो है
सुख दुःख इसके मोड़
सुख के रास्ते चलना है भाता
दुःख देता है हमें तोड़
पर यह तो कर्मों के है फल
जिसको हमने पड़े भोगना
क्योंकि तू पथिक तेरा काम है चलना
माना निरंतर परिश्रम करके
तू बहुत थक जाता है
 मंजिल अभी तो बहुत दूर है
तू व्याकुल हो जाता है
कर लेना विश्राम तू कुछ पल
फिर नई  सुबह संग चल देना
क्योंकि तू पथिक तेरा काम है चलना

                                 नंदिनी लहेजा


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