साहित्य चक्र

14 May 2021

रिसेप्शन कुछ दिनों बाद


मम्मी इस संडे मैं क्या करूंगी ? निमिषा ने ठुनकते हुए अपनी मम्मी से कहा।





मम्मी क्या बोलती? जब से कोविड-19 हुआ था वह खुद भी परेशान थी। वह एक मॉल में काम करती थी मगर इन दिनों वह मॉल भी बंद था। दादी तो पहले ही घर पर थी अब निमिषा के पापा और भैया भी घर पर ही रहते थे। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शुरु होने से थोड़ी व्यस्तता हो गई थी परंतु वह संडे को कुछ नहीं पढ़ना चाहते थे। निमिषा फिर बोली- मम्मी बताओ ना मैं क्या करूंगी संडे को? लूडो कैरम खेल-खेल कर बोर हो गई हूं। और यह मोबाइल तो मुझे आजकल बिल्कुल बेकार लगने लगा है। उसे लेकर एक ही जगह बैठे-बैठे मेरे हाथ और मेरा सिर दोनों दुखने लग जाते हैं।


फिर अचानक से बोली- संडे को मैं अपनी गुड़िया की शादी कर लूं। मम्मी ने सोचा जान छूटी। झट से बोली- हां हां यह ठीक रहेगा। कहकर वह रसोई की तरफ जाने लगी पर निमिषा को कहां चैन था। 


वह फिर बोली- मगर मम्मी, शादी की तैयारियां कैसे होगीं ?


मम्मी मन ही मन मुस्कुराई। भला गुड़िया की शादी की क्या तैयारियां? पर फिर भी झूठी चिंता जताते हुए कहा- सचमुच शादी की तैयारियां कैसे होगी? कहीं बाहर तो जा नहीं सकते। निमिषा और मम्मी दोनों सोचने की मुद्रा में सोफे पर बैठ गई कि पापा वहां आए और बोले- आज दोनों मां बेटी किस चिंता में डूबी हुई हो ?


- पापा मेरी गुड़िया की शादी करनी है। परंतु मैं तैयारी कैसे करूं? कोविड-19 फैला हुआ है ना।


तो पापा ने हंसते हुए कहा- तुझे गुड़िया की शादी की तैयारी के लिए बाहर जाने की कहां जरूरत है। मैं हूं ना वेडिंग प्लानर। मैं सारी योजना बना दूंगा कि कौन क्या क्या करेगा। और घर में ही सब कुछ हो जाएगा। इतनी देर में निमिषा का भाई निष्कर्ष भी आ गया था। वह बोला- मुझे भी बताओ क्या चल रहा है? इस संडे को क्या होने वाला है?


- हम सब मिलकर निमिषा की गुड़िया की शादी करेंगे। मम्मी ने हंसते हुए कहा। 


इसमें हंसने की क्या बात है पापा ने नकली नाराजगी दिखाते हुए कहा। हमें गंभीरता से काम संभालने चाहिए। फिर बोले- ध्यान रहे तुम्हे कैटरर्स का काम संभालना है। इतनी देर में दादीजी भी दूसरे कमरे से आ गई थी। दादी को देखते ही पापा बोले- मां, आपको ड्रेस डिजाइनर का काम संभालना है। आप गुड़िया की शादी का जोड़ा तैयार करोगी।


दादी को इस काम में कोई आपत्ति नहीं थी इसलिए वह खुश होकर निमिषा से बोली- हां हां जरूर करूंगी। मेरे पास लाल मखमल का कपड़ा और सुनहरी सितारे पड़े हैं। मैं उनसे सुंदर लहंगा-चुन्नी तैयार कर दूंगी। और साथ में गुड़िया के लिए गहने और मोतियों की वरमाला भी बना दूंगी। अरे! मैंने तेरी बुआ और तेरे लिए बहुत ही सी फ्रॉकें सिलीं हैं। अब तेरी गुड़िया के लिए भी बना दूंगी।


निमिषा की खुशी का कोई ठिकाना न था। पापा ने कार्ड बनाने और उन्हें भेजने का काम संभालने का जिम्मा लिया। निष्कर्ष ने पांडाल सजाने तथा अन्य सामान की व्यवस्था करने का।


मेरी गुड़िया का मेकअप मैं कर दूंगी। मेरे पास छोटा सा मेकअप किट है।निमिषा ने कहा। घर के सभी सदस्य बड़ी जोर-शोर से निमिषा की गुड़िया की शादी की तैयारियों  में जुट गए। शादी का दिन तो तय था। अगले इतवार का। कार्ड तैयार होते ही निमिषा ने अपनी सभी सखियों को व्हाट्सएप द्वारा कार्ड भिजवा दिए और शादी में आने का न्योता दिया। सभी सखियां खुश थीं। उन्होंने गुड़िया को देने के लिए उपहार बनाने भी शुरू कर दिए और ऑनलाइन शादी में उपस्थित रहने का वादा किया।


- पापा फेरों के वक्त मंत्र कौन बोलेगा? अचानक से निमिषा को याद आया और वह चिंतित हो गई।सचमुच यह तो दुविधा की बात मंत्र किसी को नहीं आते थे। वे बोले- मैं एक पंडित जी से बात करता हूं। शायद वे हमारी मदद कर सकें।


पापा ने पंडित जी को फोन मिला कर अपनी समस्या बताई तो वे मुस्कुराते हुए बोले- अरे भाई, आजकल वास्तविक शादियां तो हो नहीं रहीं। मैं बिल्कुल खाली बैठा हूं। मैं खुद ही आनलाइन मंत्र पढ़कर आपकी गुड़िया की शादी करवा दूंगा।


- वाह फिर तो मजा आ जाएगा। पापा ने खुश होकर कहा।


इतवार के दिन शादी का कार्यक्रम शुरु हो गया। मम्मी ने बारातियों के लिए छोटे-छोटे गुलाब जामुन और लड्डू बना लिए थे। पीने के लिए बादाम वाला दूध भी तैयार कर लिया था। दादी जी ने गुड़िया के गहने और शादी का जोड़ा भी तैयार कर लिया था तथा घर की सजावट भी हो गई।

निमिषा ने अपनी गुड़िया को तैयार भी कर दिया था  नए जोड़े में सजी-धजी गुड़िया बहुत सुंदर लग रही थी।


- अरे! गुड्डा तैयार हुआ कि नहीं हुआ। शालू को फोन करके पूछती हूं। निमिषा को चिंता हुई क्योंकि उसकी गुड़िया का विवाह शालू के गुड्डे से ही तय हुआ था। उसने शालू को फोन किया और पता चला कि उसका गुड्डा बिल्कुल तैयार था। उसने अपने गुड्डे की फोटो भी भेजी। सचमुच बहुत स्मार्ट लग रहा था।


अब सब लोग शादी में शामिल होने के लिए तैयार होने लगे। लॉक डाउन की वजह से उन्हें बहुत दिनों से तैयार होने का मौका नहीं मिला था। अत: उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मम्मी ने अपनी जरी वाली साड़ी पहनी तथा दादी ने गोटे वाला लहंगा। पापा और भैया ने शेरवानी पहनी और निमिषा ने अपना नया गाउन पहना जो कुछ ही दिन पहले मॉल से खरीदा था।


निमिषा का परिवार और उसकी सखियां ज़ूम वीडियो कॉल पर इकट्ठी हो चुकी थीं। पापा नहीं है सब अपने लैपटॉप  पर किया था ताकि बड़ी स्क्रीन पर सभी अच्छे से दिखाई दे सकें। निमिषा ने देखा उसकी सखियां भी बहुत सुंदर वस्त्रों में तैयार थीं।


- अरे वाह तुम सब तो बहुत सुंदर लग रही हो वह चहक कर बोली। 


- क्यों नहीं? हमारी गुड़िया की शादी जो है। वे बोलीं।


पंडित जी भी बकायदा धोती कुर्ता पहन कर ऑनलाइन उपस्थित हो गए थे। बस कुछ ही देर में  शादी शुरू होने वाली थी कि अचानक से लाइट चली गई।


- अरे बाप रे मेरा लैपटॉप ज्यादा चार्ज भी नहीं है। मैं इसे चार्जर लगाकर काम ले रहा था। अब क्या होगा? पापा घबरा गए। पापा के साथ-साथ सभी घबरा गए। पापा ने देखा लैपटॉप में बैटरी सिर्फ 6 पर्सेंट थी। यानी कि लैपटॉप कभी भी बंद हो सकता है।


पापा, मेरे पास पावर बैंक है। निष्कर्ष ने कहा। पर शिट!  वह भी अभी चार्ज नहीं होगा क्योंकि मैंने बहुत दिनों से उसे काम में नहीं लिया। कह कर वह निराश होकर सोफे पर पसर गया।


तभी अचानक से मम्मी दूसरे कमरे में गई और मुस्कुराती हुई पावर बैंक ले आई और बोली- मैंने कल ही इसे चार्ज में लगा दिया था। मुझे पता था कि इसकी कभी भी जरूरत पड़ सकती है। क्योंकि आजकल बच्चों की पढ़ाई लिखाई तथा अन्य काम भी ऑनलाइन ही होते हैं।


पावर बैंक फुल चार्ज था। उसे देख कर सब खुश हो गए। पापा ने झट से उसे अपने लैपटॉप से कनेक्ट कर लिया। फिर क्या था। धूमधाम से शादी होने लगी। दुल्हन मंडप में आ गई। उधर दूल्हा भी आ गया था। वरमाला करवाते समय निमिषा व उसके घरवालों ने गुड़िया को ऊंचा उठा लिया ताकि गुड्डा जल्दी से मरमाला न पहना सके। यह देखकर सभी सखियां हंसने लगी। आखिर गुड्डी ने लपक कर वरमाला पहना ही दी। जल्दी  ही वरमाला हो गई।


फिर सब सखियों ने अपने-अपने उपहार दिखाए जो उन्होंने गुड़िया को देने के लिए बनाए थे। तथा वादा किया कि लॉक डाउन खुलते ही वे सब दे दिए जाएंगे। पंडित जी मंत्र पढ़ने लगे। थोड़ी देर में फेरे भी संपन्न हो गए। अब सब चिल्ला रहे थे हमें भूख लगी है। मिठाइयां कब मिलेंगी। यह सुनकर मम्मी रसोई में गई और सब पकवान ले आई। निमिषा और उसके घर वाले मजे से पकवान उड़ाने लगे मगर उसकी सहेलियां मुँह ताक रहीं थीं।


वे बोलीं- अरे वाह! अकेले-अकेले दावत उड़ा रहे हो। ये पकवान तो हमें भी चाहिए।


इस पर निमिषा ने मुस्कुरा कर कहा- मैं मेरी गुड़िया की शादी का रिसेप्शन कुछ दिनों के बाद दूंगी जब सब कुछ ठीक हो जाएगा। तब तक इंतजार करो। यह कहकर वह फिर से खाने-पीने में व्यस्त हो गई। पापा ने लैपटॉप ऑफ कर दिया था। विवाह संपन्न होने के बाद सभी थक गए थे। अतः सब आराम करने लगे। निमिषा को गुड़िया की शादी करके बहुत मज़ा आया। सबसे मज़े की बात तो यह थी कि शादी के बाद भी गुड़िया उसके पास थी। उसे गुड़िया की जुदाई का ग़म भी नहीं उठाना पड़ा था।



कुसुम अग्रवाल



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