साहित्य चक्र

22 May 2021

अपने हिस्से का अम्बर



जीना चाहती हूँ, अपने हिस्से की जमीन पर
मुझे थोड़ा सा अपने हिस्से का अम्बर दे दो....!
न जन्नत चाहूं, न चाहूं कोई बड़ा सम्मान,
मुझे माँ की ममता का थोड़ा प्यार उधार दे दो....!!

मशवरा देने वाले बहुत मिलेंगे, 
तुम खुश रहने की वजह दे दो....!
सवाल पर सवाल बहुत कियें जायेंगे, 
तुम सवालों में से ढूढ़कर जवाब दे दो....!!

बिलख रहा है वो बालक भुख की गहरी बीमारी से
कोई तो उसे उसकी बीमारी की दवा दे दो....!
है जल रही एक छोटी सी चिंगारी उसके भीतर
ज्वाला का रूप ले लेगी एक दिन, ग़र तुम हवा दे दो...!!

कब तक तात बोझ उसका संग लेकर चलोगे,
अब उसे भी अपने ऐसा कोई ढूंढकर विदाई दे दो....!
ताउम्र जेल में रखकर, हाय क्यों लकीरों में लिख रहें हो,
आजाद कर दोे उस बेजुबान को, उसें उड़ने की रिहाई दे दो....!!


                             कुमारी आरती सुधाकर सिरसाट


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