बहुत ही लोकप्रिय कविता "उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद न आएँगे"। कविता का प्रत्येक पंक्ति बड़ा ही सुंदर शब्दों से अलंकृत।काफी पसंद किया जाने वाला कविता।मैं भी इसे बड़े ध्यान से सुनती हूँ।परन्तु कविता को पढ़-सुन कर मेरे मन में उठने वाला सवाल क्या अब गोविंद सचमुच नहीं आएँगे? नहीं ऐसा नहीं है।गोविंद तो अवश्य आएँगे लेकिन हाँ तब जब हम उन्हें द्रोपदी की तरह अपने अंतरात्मा से बुलाएँगे। गोविंद तो तब तक द्रोपदी की लाज बचाने नहीं आए थे,जब तक कि द्रोपदी उन्हें याद नहीं की थी अर्थात सहायता के लिए नहीं बुलाई थी।मगर जिस क्षण द्रोपदी अपने अंतरात्मा से गोविंद को याद की तब गोविंद क्षणभर देर किए बगैर द्रोपदी की रक्षा के लिए आ गए।
गोविंद आज भी आएँगे और जब तक गोविंद आ नहीं जाते हम अन्याय के खिलाफ शस्त्र कैसे उठा सकते हैं? क्योंकि गोविंद के बिना तो हम अचेतन व शक्तिहीन है और जब तक हम अचेतन या शक्तिहीन है तब तक हम अधर्म के विरुद्ध या अत्याचार के खिलाफ शस्त्र उठाने में कैसे समर्थ हो सकते हैं। इसलिए अगर आज की द्रोपदी को अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ शस्त्र उठाना है तो गोविंद को बुलाना ही होगा।और गोविंद तब तक नहीं आएँगे जब तक हम उन्हें समर्पण भाव से नहीं बुलाएँगे।
एक सवाल मेरा आप सभी से क्या बिना बुलाए आप किसी के घर या किसी की सहायता करने जाते हैं क्या ? नहीं न, तो फिर हम यह उम्मीद क्यों करते हैं कि बिन बुलाए या बिना याद किये गोविंद हमारी सहायता के लिए हमारे पास आ जाएँगे। हमें गोविंद को अपने पास बुलाने के लिए उनसे प्रार्थना करनी होगी और जब हम अपने प्रभु से प्रार्थना करेंगे तो निश्चय ही हमारे प्रभु यानी गोविंद हमारी रक्षा के लिए आएँगे, क्योंकि प्रभु तो श्रद्धा एवं भाव के भूखे होते हैं, और भक्त के वश में रहने वाले होते हैं।इसलिए वो आएँगे, अवश्य आएँगे।
क्योंकि प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती है। प्रार्थना करने से हमारे मन में विश्वास जगता है और तन-मन की शुद्धि हो जाती है और तब हम हर पल अपने प्रभु को अपने पास पाते हैं। जब हमें यह विश्वास होता है कि प्रभु हमारे साथ हैं तो हम भयमुक्त हो जाते हैं।और जब कोई इंसान भयमुक्त हो जाता है तो वह संसार के सभी बाधा को हँस कर पार कर लेता है।
इसलिए हमें सदा प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि प्रार्थना में असीम शक्ति होती है।
जय श्रीकृष्णा
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'
सादर आभार🙏🏻
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