साहित्य चक्र

16 May 2021

मां



मां तुम एक विचार हो,
 मेरी आध्यात्मिकता का आधार हो ,
मैं जब भी सोया और जागा ,
तो पाया कि मेरे सपनों का संसार हो ।
मां तुम एक विचार हो ।।1।।

रिश्तो में आदि और अंत हो ,
जीवन का अंतिम बसंत हो ,
गांव की बेटी, बहना, देवी बनकर रहीं  ,
आज भी निराकार होकर आकार हो ,
मां एक विचार हो ।।2।।

मन बुद्धि आत्मा की एक सहज अनुभूति हो,
 सभ्यता संस्कृति व परंपरा की प्रतिमूर्ति हो ,
रिश्ते का कभी नहीं किया अंत ,
हो पतझड़ चाहे हो  बसंत , 
आत्मा में परमात्मा का साक्षात्कार हो ,
मां तुम एक विचार हो ।।3।।


                                    "मुल्क मंजरी"



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