साहित्य चक्र

22 May 2021

लघु कथा- इंजेक्शन




आज उस रमेश का परिवार चिंता में था। उसकी जांच में कोरोना संक्रमण का होना पाया गया था। रमेश का परिवार प्रतिष्ठित एवं रुतबे वाला था। सो रमेश को उसके परिजनों ने जिले के एक बड़े अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। अस्पताल ने भी बग़ैर देर किए रमेश को वेंटिलेटर की सुविधा देकर अच्छा इलाज चालू कर दिया। कुछ घंटे के इलाज के बाद रमेश का परिवार उसे जल्दी ठीक करना चाहता था। उसके चाचा ने फिर अस्पताल के डॉक्टर से बात की ......डॉक्टर बोला चिंता की कोई बात नहीं है सब कुछ ठीक है उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन अच्छा है। संक्रमण को ठीक होने में एक दो दिन तो लगेंगे।

रमेश के चाचा ने रमेश की मां को स्थिति बताई तब रमेश की चाची बोली एक इंजेक्शन की बड़ी चर्चा है सुना है उसके लगने से मरीज को बहुत फायदा हो रहा है।चाचा ने बीच में टोंकते हुए कहा हां रेमडेसिवर इंजेक्शन ,उसकी बहुत किल्लत चल रही है। चाची ने बात काटते हुए कहा आपकी तो इतनी पहुंच पकड़ है एक इंजेक्शन का जुगाड़ नहीं हो सकता है क्या। चाचा को बात लग गई फिर वे डॉक्टर के पास सलाह लेने देने पहुंच गए। डॉक्टर ने  चाचा को देखते ही कहा अब क्या हुआ चाचा ने डॉक्टर को सीधे सलाह दे डाली। डॉक्टर साहब रमेश को अगर रेमडेसिवर इंजेक्शन लगा दें तो....। डॉक्टर की पेशानी पर बल पड़ गए .....बोले उसकी जरूरत नहीं है,वो हर किसी को नहीं लगा सकते हैं। चाचा जिद करते हुए बोले इंजेक्शन तो मैं ले आऊंगा आप हां बोल दें। 

फिर चाचा ने साम दाम से रेमडेसिवर इंजेक्शन  की व्यवस्था कर ली। चाचा की जिद के चलते डॉक्टर ने रमेश को इंजेक्शन लगा दिया। तब तक 36 घंटे हो गए थे। रमेश के परिजन खुश थे हमने रेमडेसिवर इंजेक्शन लगवा दिया है अब रमेश स्वस्थ हो जाएगा। देर रात को डॉक्टर ने रमेश के परिजनों को बुलाया और कहा रमेश की हालत बिगड़ रही है। हम स्थिति को सम्हालने का प्रयास कर रहे है।

दूसरे दिन सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो  रहा था जिसमें रमेश के चाचा डॉक्टर पर आरोप लगा रहे थे डॉक्टर की लापरवाही है, मेरे भतीजे की मौत रेमडेसिवर इंजेक्शन लगने से हुई है।


                                                           राजेश शुक्ला


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