साहित्य चक्र

06 April 2025

बलिदानी पर प्रश्न उठाने वाले




हम तो समझे थे की, तुम तो हिम्मत वाले हो
वीरों के बलिदानों की, इज्जत कर ने वाले हो
कहो फिर भी कैसे, कैसे खून नही खोला तेरा
संसद मे बाबर की तुलना, राणा से करने वाले हो।। 

तुम भी कुर्सी के लालच में धृतराष्ट् बनने वाले हो
स्व. राणा सांगा का क्या चिर हरण करने वाले हो
अस्सी गाव लेकर जो मुगलो को चने चबवाता है। 
संसद मे उसी बलिदानी पर प्रश्न उठाने वाले हो।। 

कुछ देर के खातिर ही तुम रौद्र रूप दिखलाते
जीभ कटवा देते या संसद से तो बाहर भगाते, 
किस बात के खातिर तुम अब तक मौन धरे हो, 
एक बार फिर से देश को गोहदरा याद दिलाते, 


                             - अनिल चौबीसा


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