साहित्य चक्र

06 April 2025

जानिए कौन है बिहार की पद्म श्री किसान चाची!


बिहार के मुजफ्फरपुर क्षेत्र के एक ग्रामीण किसान परिवार में जन्मीं राजकुमारी अपनी मेहनत और लगन से आज पूरे देश में किसान चाची के नाम से जानी जाती हैं। राजकुमारी जी का जन्म 21 अगस्त 1953 को मुजफ्फरपुर में हुआ था। ग्रामीण माहौल, पुरानी परम्पराओं और महिला होने के कारण से राजकुमारी देवी जी की शिक्षा नहीं हो पाई। पुराने जमाने में ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का अभाव होता था। सामाजिक जागरूकता ना होने के कारण महिलाएँ घरों के काम तक ही सीमित रहती थीं। राजकुमारी जी का विवाह बहुत ही कम उम्र में अवधेश कुमार चौधरी के साथ आनंदपुर गांव में कर दिया गया। इनकी तीन संतानें हैं, जिनमें दो बेटी रंजू, संजू और एक पुत्र अमरेंद्र कुमार शामिल हैं।





संघर्षमय जीवन और कृषि की शुरुआत

शादी के बाद राजकुमारी जी ने देखा कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और महिलाओं की आर्थिक निर्भरता उनके पति या परिवार पर है। महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए काफी संघर्ष और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन सब चीजों ने राजकुमारी जी को के. वि. के सरैया मुजफ्फरपुर, डाॅ० राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, बिहार से आधुनिक खेती के तरीकों को सीखने के लिए प्रेरित किया।

शुरुआत में राजकुमारी जी को परिवार और गांव वालों का भारी विरोध भी झेलना पड़ा, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। साइकिल से गांव-गांव जाकर महिलाओं को खेती और स्वरोजगार के बारे में जागरूक एवं शिक्षित किया। इस दौरान गांव वालों ने राजकुमारी जी का खूब मजाक उड़ाया था, लेकिन उन्होंने लोगों की परवाह नहीं की। जैविक खेती के नए तरीकों से उच्च उत्पादन वाली फसलें, फल, सब्जियाँ उगाकर यह साबित कर दिया कि महिलाएँ चाहे तो कुछ भी कर सकती हैं और कृषि महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने का सबसे आसान व लाभदायक मार्ग है।

राजकुमारी जी द्वारा महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु

महिलाओं को खेती खाद्य प्रसंस्करण और स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा
पारम्परिक अनाजों के बजाय नगदी फसल उगाने के प्रेरित किया
खेती से प्राप्त उत्पादों का प्रसंस्करण कर अतिरिक्त आय अर्जित करना
स्वयं सहायता समूह बनाकर अपने उत्पादों को बाजार में बेचना

 राजकुमारी जी का अचार व्यवसाय

इन्होंने अपना अचार का व्यवसाय ‘किसान चाची का अचार’ नाम से शुरु किया। वर्तमान में राजकुमारी जी लगभग 25 प्रकार के अचार और जैम बनानी हैं और स्थानीय बाजारों व महानगरों में अपना उत्पादन बेचती हैं। इसके अलावा राजकुमारी जी अपने प्रोडेक्ट को ऑनलाइन भी सेल करती हैं। इनके इस व्यवसाय से सैकड़ों महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। 

सम्मान और पुरस्कार

कृषि में नवाचार और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता हेतु बिहार सरकार द्वारा- किसान श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

राजकुमारी जी की यह कहानी सिर्फ उनकी सफलता की कहानी नहीं है बल्कि पूरे समाज के बदलाव की कहानी है। पद्मश्री किसान चाची की यह कहानी हम सभी के लिए प्ररेणादायी है। यह कहानी ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर और जागरूक होने के लिए प्रेरित करती है।


                                                      - अनुरोध त्रिपाठी


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