नीति, निष्ठा, और संवाद का दीप जलाने वाले,
भारत माता का वह सच्चा सेवक कहलाने वाले।
कविता में जिसका हृदय सजीव बोल उठता हो,
अटल सा व्यक्तित्व, जो हर बाधा में भी न झुकता।
काव्य की भूमि से संसद तक जिसकी थी गूंज,
धैर्य और दूरदर्शिता से सुलझाए कितने झंझावात के जाल।
जन-जन के नेता, जो हर दिल में बसा,
अटल जी ने राष्ट्रहित को सदा सबसे ऊपर रखा।
परमाणु शक्ति से भारत को जिसने सशक्त बनाया,
करगिल में जीत का जिसने विजय घोष सुनाया।
कंधार की विपदा में भी जिसने धैर्य नहीं खोया,
हर युद्ध के बाद भी शांति का सपना सँजोया।
उनके शब्दों में था ऐसा जादू,
दुश्मन भी मानें, उनका हृदय बड़ा था सादू।
“सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” का मंत्र दिया,
हर भारतवासी के दिल को उम्मीदों से भर दिया।
आज भी उनकी वाणी गूंजती है आसमान में,
उनकी सीखें हैं संजोयी हर भारतवासी के मन में।
अटल, तुम थे, अटल हो, और अटल रहोगे,
भारत के दिल में सदा, प्रेरणा बनकर बहोगे।
- डॉ.सारिका ठाकुर “जागृति”
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