साहित्य चक्र

11 February 2020

तुम जब




बसंत तुम 
जब आते हो ।
जीवन में ,
उमंग भर जाते हो। 

हवाएं चलती हैं। 
सुगंध ले कर। 
जीवन में ,
खुशबू भर जाते हो। 

बसंत तुम 
जब आते हो।
 एहसास जागते हैं। 

हर तरफ ,
फूल खिलते हैं। 
कहीं पीले -कहीं नारंगी।
जीवन रंग बरसते हैं ।

बसंत तुम ,
जब आते हो। 
जीवन में ,
उमंग भर जाते हो।

नदिया इठला कर चलती है। 
दिनों में मस्ती आ जाती है।

 आसमां में  चहकते हैं पक्षी।
 जिंदगी कोयल से गीत गाती है।

 बसंत तुम ,
जब आते हो। 
जीवन में ,
उमंग भर जाते हो। 
नई आस- नई प्यास 
नए विचार -नए आधार। 
बन कर छाते हो। 

बसंत तुम ,
जब आते हो। 
जीवन में,
 तरंग भर जाते हो।। 


                                       प्रीति शर्मा "असीम"


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