तुमने देखा नहीं मुझको ऐसे न वार करो
ओ सखे मेरे तुम मुझे अब स्वीकार करो..
करती हूँ विनत निवेदन पद पड़ कर तेरे
स्वेच्छा से मुझपे प्रियतम अधिकार करो..
मांग सिंदूरी करके मेरी ओ प्रियतम मेरे!
स्नेहिल चुम्बनों से शोभित लिलार करो..
ख़्वाबों में मेरे अपने चाहत के रंग सजा
मनमोहक रंगों से स्वप्नों को साकार करो..
पतझर जैसे पीड़ित मेरे इस जीवन में
बसंत लाकर प्रेम-गुल से गुलजार करो..
रक्षक बन जाओ मेरे नाज़ुक दिल के
प्रीतिनगर मे अपनी तुम सरकार करो..
डोर बाँध दो ऐसी जो तुम तक जाये
मधुरिम भावों का अब अभिसार करो..
भटके न मन मेरा तुझे जुदा प्रियतम
तीव्र प्रवाह प्रेमगंगा का बेशुमार करो..
मीरा सी भटकूँ मन-मोहन पाने को
संगिनी बनाकर मुझपे उपकार करो..
बोकर प्रेम का बीज मेरे उर तल में
हृदय प्यार से अंकुरित बारंबार करो..
निराशा से नीरस मन व्याकुल बेहद
मेरे मन में स्वगीतों की झंकार करो..
विरहाग्नि में जलती ये बिरहन तेरी
करबद्ध आलिंगन कर मनुहार करो..
घोर अँधियारा चहुँ ओर दिखे मुझे
प्रेम की ज्योत से जगमग संसार करो..
नैन प्रतीक्षारत तेरे प्रेम की आस में
प्रिय कभी तो मनहर सरोकार करो..
सौभाग्यवती हो जाऊँगी जब तुम
मेरी श्वासों पे स्व श्वास निसार करो..
स्व जीवन अर्पित कर मेरे साजन
सबसे बेहतर अपना किरदार करो..
मैं अरज करूं निज प्राण प्रिये से
निजनेह से पल-पल मम् श्रृंगार करो..
हे देव!होना चाहूँ पग धूल तुम्हारी
या चाहो तो वक्ष लगा उद्धार करो..
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