साहित्य चक्र

14 February 2020

मधुर सौगात

आया ऋतुराज बसंत हुई चारों ओर बहार ।
हुई धरा सुसज्जित लाया अपनो का प्यार।।


सरसों से श्रृंगार यूं लगे जैसे हो पीताम्बर ।
केदार की हरियाली भी चहुं ओर बराबर ।।

छेड़े कोकिला सस्वर कुहू मधुर रस-तान ।
पुष्पों से शोभित तरुवर बंसत की पहचान ।।
 
वाग्देवी माता की वीणा करे सु मधुर वादन ।
जड़ अचेतन सब करे बसंत का अभिवादन ।।

बहार बसंत की सबको प्यारी लगे मधुर सौगात ।
हर मन चाहे हर पल लाए बसंत ऐसी ही बारात ।।

डाल डाल करें श्रृंगार बसंत की शोभा अनंत ।
सुगन्ध बहे समीर सबकुछ लेकर आया बसंत ।।


                                        ✒️ राज शर्मा

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