साहित्य चक्र

01 February 2020

क्या है यह जीवन



इस जीवन की कहू कथा क्या 
निजमन में है वास व्यथा का
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं 
परिभाषित इसको कर पाऊं 
क्या निरर्थक है इस जीवन में 
क्या सार्थक है इस जीवन में 
पृथक पृथक अब कर मैं पाऊं 
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं 
परिभाषित इसको  कर पाऊं 


क्या जीवन एक अनियंत्रित जलधारा 
जो नीचे को ही बहती जाए
या जीवन है वह नाम समय का 
जो ना कभी लौटकर आए 
भ्रमित है मन , की इस जीवन की पहेली
को कैसे अब मैं सुलझाऊं 
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं 
परिभाषित इसको कर पाऊं 


क्या जीवन है वह कचोट कार्य का
भूतकाल में जो निपट ना पाए 
या जीवन वह चिंतन भविष्य का 
जो वर्तमान को ही निगलता जाए
क्या जीवन क्या है यह जीवन 
होता प्रतीत है जटिल प्रश्न यह 
उत्तर इसका कहां से लाऊं 
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं 
परिभाषित इसको  कर पाऊं 

                                 अनंत सिंह


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