इस जीवन की कहू कथा क्या
निजमन में है वास व्यथा का
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं
परिभाषित इसको कर पाऊं
क्या निरर्थक है इस जीवन में
क्या सार्थक है इस जीवन में
पृथक पृथक अब कर मैं पाऊं
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं
परिभाषित इसको कर पाऊं
क्या जीवन एक अनियंत्रित जलधारा
जो नीचे को ही बहती जाए
या जीवन है वह नाम समय का
जो ना कभी लौटकर आए
भ्रमित है मन , की इस जीवन की पहेली
को कैसे अब मैं सुलझाऊं
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं
परिभाषित इसको कर पाऊं
क्या जीवन है वह कचोट कार्य का
भूतकाल में जो निपट ना पाए
या जीवन वह चिंतन भविष्य का
जो वर्तमान को ही निगलता जाए
क्या जीवन क्या है यह जीवन
होता प्रतीत है जटिल प्रश्न यह
उत्तर इसका कहां से लाऊं
चाह की जीवन को समझ मैं पाऊं
परिभाषित इसको कर पाऊं
अनंत सिंह
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