साहित्य चक्र

16 February 2020

बधाई दे दूँ हे दिल्ली सरकार

कैसे तुझे बधाई दे दूँ हे दिल्ली सरकार


निर्वाचन  के  महासमर में तूँने बहुमत पाया है।
झाड़ू लेकर इधर से उधर कचरा खूब उड़ाया है।
लोकतन्त्र के शेर आप हो और सभी के बाप तुम्हीं-
थोड़ा सा बस कमल खिला ज्यादा कुचला कुम्हलाया है।


कांग्रेस जीरो पर अटकी फिर भी चढ़ा खुमार।
कैसे    तुझे    बधाई  दे  दूँ  हे दिल्ली सरकार।।

चार साल तक एल जी पी एम का तूँने रोना रोया।
जनता के दिल में घुसकर के बीज छद्म का भी बोया।
चालाकी  में  तुम हो लोमड़ और तेज हो गिरगिट से -
चार साल के पापों को अब एक साल में रगड़ा धोया।

फ्री  के  लेने - देने  को भी हम करते स्वीकार।
कैसे    तुझे    बधाई  दे  दूँ  हे दिल्ली सरकार।।

एयर स्ट्राइक पर तुमने भी सबूत तो माँगा था।
सेना की कुर्बानी को भी राजनीति पर टाँगा था।
काश्मीर के मुद्दे पर तेरे भी आँसू थे छलके -
राष्ट्रवाद की बात चली तो तूँ भी बिल्ला - रांगा था।

देशद्रोह  का किया समर्थन लानत तुझे हजार।
कैसे   तुझे   बधाई  दे  दूँ  हे दिल्ली सरकार।।

अगर देश के मुद्दे पर तुम साथ सही का देते तो।
सैनिक के घरवालों की भी बहुत दुवाएँ लेते तो।
बलात्कार का पक्ष न लेकर साथ दामिनी के रहते-
कश्मीरी विस्थापित पर थोड़ा भी होते चेते तो।

अवध  तुम्हारी  झोली  में  भर देता यह संसार।
कैसे    तुझे    बधाई  दे  दूँ  हे दिल्ली सरकार।।



                          डॉ अवधेश कुमार अवध 


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