साहित्य चक्र

09 February 2020

"कुछ पाने के लिए,कुछ खोना भी पड़ेगा"



कुछ पाने के लिए,
कुछ खोना भी पड़ेगा ;
अगर सूरज बनने की चाह रख ही ली है ,
तो उसकी तरह जलना भी पड़ेगा।

रातों को जगना भी पड़ेगा,
दिन में दौड़ना भी पड़ेगा ;
अगर ऊंचाइयां पाने की चाह रख ही ली है ,
तो गिर कर बार बार सम्भलना भी पड़ेगा।

 ख्वाईशो को मारना भी पड़ेगा,
अपनी पसंद को नकारना भी पड़ेगा ;
अगर सपने पूरे करने की चाह रख ही ली है ,
तो नींद में भी अपने लक्ष्य को लाना पड़ेगा।

परेशानी को नजरअंदाज करना पड़ेगा,
मजबूरी को अपनी ताकत बनाना पड़ेगा ;
अगर सफलता पाने  की चाह रख ही ली है ,
तो पहले अपनी सोच को बढ़ा करना पड़ेगा।

कभी वक्त से लड़ना पड़ेगा,
तो कभी खुद को समझाना पड़ेगा ;
अगर आसमाँ की बुलंदी छूने की चाह रख ही ली है ,
तो सब्र का दामन थामना भी पड़ेगा।

                                     - ममता मालवीय


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