साहित्य चक्र

16 February 2020

मां की लोरी

"नाराजगी"


कहते हैं सब, ना लौटेगी मां कभी,
क्योंकि,नाराज हो चली वो मुझसे दूर,
सोचता हूं हर पल बस एक ही बात,
नाराज होती मेरी मां, तो लौट आती,
अपने बच्चे को यू ना सताती,
हर पल रोता हूं मैं बस मां को याद करता हूं,
अगर नाराज होती, तो लौट आती मां,
यू मुझे रोता देख चुप न रहती मां,
हां नाराज होती मां तो लौट जरूर आती।
हर पल कमी महसूस करता हूं,
हर बात पे बस मां को याद करता हूं,
अगर नाराज होती मां तो वापस आ जाती,
हर दिन मुझे तकलीफ ना होने देती,
चोट लग जाती है तब भी मां को याद करता हूं,
बीमार होता हूं मां को याद करता हूं,
भूख लगती है तो मां को याद करता हूं,
मां की लोरी सुने बिना मुझे नींद नहीं आती थी,
वह तो लोरी सुनाने भी नहीं आती,
चोट लगने पर बीमार होने पर भी वो मुझे देखने नहीं आती,
याद करता हूं तो भी मुझे कहीं नजर नहीं आती,
अगर सच में नाराज होती मां तो 
गुस्सा शांत होने पर वापस जरूर आती।।


                            निहारिका चौधरी


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