साहित्य चक्र

01 February 2020

मां काली कल्याणकारी

मां काली कल्याणकारी ना की विनाशकारी माँ काली कल्याणकारी देवी है न की विनाशकारी है,महाकाली के संबंध में बहुत सारी भ्रांतियां फैली हुई है। बहुत सारे लोग मां काली के स्वरूप को देखकर ही घबरा जाते हैं पर वास्तव में मां काली का स्वरूप जितना भयंकर है मां का दिल उतना ही सौम्य है। वास्तव में मां काली दुर्गा माँ का ही रूप है बस फर्क इतना है कि जब मां क्रोध में आते हैं तो वह महाकाली का स्वरूप धारण कर लेती है।

                                   

 महाकाली सिर्फ पापियों के लिए राक्षसों के लिए भयंकर है मगर अपने भक्तों और बच्चों के लिए वह सदा ही सौम्य रही है महाकाली जब भी किसी पर कृपा करती है तो उसका जीवन स्वर्गमय ही बन जाता है मगर जब भी वह पापियों की तरफ अपनी नज़र करती है उनका जीवन नर्क से भी कठोर बन जाता है।काली को माता जगदम्बा की महामाया कहा गया है।माता कालिका 10 महाविद्याओं में से एक हैं। 

और 10 महाविद्या में सबसे ऊपर और मुख्य नाम महाकाली का ही आता है। माता काली के चार रूप हैं: 1.दक्षिण काली 2.श्मशान काली 3.मातृ काली  4.महाकाली इनमें से दक्षिण काली की पूजा सबसे ज्यादा की जाती है जिनको दक्षिणेश्वरी काली कहा जाता है जिनका मंदिर कोलकाता में है इन्हें दक्षिण की दुर्गा भी कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से मां काली की आराधना करता है उसको जीवन में सुख समृद्धि,विद्या मिलती है और अंत में उसे मुक्ति मिलती है। 

मां काली का स्वरूप देखने में अत्यंत भंयकारी है उनके एक हाथ में खप्पर है दूसरे हाथ में खड़ग हैं। एक हाथ मैं राक्षस की मुंडी है तो दूसरा हाथ भक्तों को अभय प्रदान करता है। महाकाली के साथ चौसठ योगिनी और 90 भैरव सदा ही नृत्य करते हुए साथ चलते हैं और साथ ही राक्षसों के वध के समय भी मां काली का साथ देते हैं।माँ काली की पूजा-उपासना से सदैंव भय खत्म होता है।इनकी अर्चना से रोगों से मुक्ति मिलती है। राहु और केतु की शांति के लिए मां काली की उपासना अचूक है। मां अपने भक्तों की रक्षा करके उनके शत्रुओं का नाश करती हैं। 

महाकाली की उपासना बहुत सारे लोग दो रूपों में करती हैं एक सौम्य और दूसरा उग्र। सौम्या रूप में मां की पूजा मैं किसी प्रकार की बलि नहीं दी जाती मगर उग्र पूजा में बहुत सारे लोग मां काली को बलि भी देते हैं मगर जहां तक मेरा अनुभव है मां काली किसी भी जीव की बलि नहीं लेती क्योंकि वास्तव में सारा जगत उसका ही है हर जीव जंतु उसी के ही हैं इसलिए कोई भी मां अपने बच्चों की बलि नहीं लेती है।गुप्त नवरात्रि में माँ काली की विशेष पूजा आराधना की जाती हैं।माँ काली ऋद्धि- सिद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं। 

मां कालरात्रि भी महाकाली का ही एक स्वरुप है। अंत में मैं यही कहूंगा मां काली के भंयकारी रूप से कभी भी घबराना नहीं चाहिए क्योंकि घबराते वही है जो पापी होते हैं मगर जो दिल के साफ होते हैं उनका मां काली सदा ही कल्याण करती हैं उनके जीवन में शुभता लेकर आते हैं इसीलिए इनको शुभंकरी भी कहते हैं।                                               
                                                                   राजीव डोगरा 



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