बहुत से लोग
रोज़ शहर आकर
लौट जाते हैं
तुम इस बात का दुःख
मत रखो
कि कौन,कब ,कहाँ
लौट गया तुमसे
बिना मिले !
लौटना एक निरंतर क्रिया है
हर बार नई तरह से नई जगह
दोहराई जाती है।
पूर्णिमा वत्स
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