साहित्य चक्र

20 February 2020

परछाई



मां मैं तेरी परछाई हूं,
तेरे अंश से जन्म लिया,
तुझसे है पहचान  मेरी,
तू ही मेरी जान है।
मां मैं तेरी परछाई हूं,
मां की हर अदा बेटी में,
मां की परछाई होती है।
बेटी के आने से घर महके,
पूरा आंगन खुशियों से चहके,
हर अदा उसकी मां की तरह,
मां मैं तेरी परछाई हूं।
संघर्ष की तपती धूप में,
शीतल हवा का झोंका है।
मेरी हर मुश्किल में मां,
तुम राहत की गहराई हूं,
मां मैं तेरी परछाई हूं।
भटकाव की स्थिति में,
तुम ही राह दिखाती हो,
तुम ही हिम्मत मेरी हो,
मां मैं तेरी परछाई हूं।।

                                           गरिमा

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