मुझे खुश रहने दो
अरे मारो नहीं जीने दो
रास्ता क्यों रोका है
हटो! मुझे जाने दो
प्रभात बेला सी मुझे
निकलने दो चलने दो
दोपहर की धूप सा
बुलंद हौसला हो मेरा
शाम ढ़ले तो चांद तले
रहने दो, चमकने दो।
हाँ हाँ! मेरा भी जीवन
बहुत अनमोल है।
भ्रूण हत्या ना करो
मुझे तुम जीने दो।
मुझे खुश रहने दो।
हर्षिता श्रीवास्तव
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