साहित्य चक्र

06 February 2020

अजीब ढंग से जीता



मिलता भी है और बीछड़ने की खता भी करता है
वो एक शख्स मेरे लिए रोज दुआ भी करता है,


अजीब ढंग से जीता है यारों वो ज़िन्दगी अपनी
रोज अपने लिए एक नया फैसला भी करता है,


कौन कहता है की वो तन्हा है, अकेला है
खलवत में खुद से वो बातें भी करता है,


मंसूब उस एक शख्स से बस इतना ही रहा 'मोहित'
मिल जाये किसी रहगुज़र में तो मुस्कुरा भी भरता है 
          
           
                                               ~ मोहित दशोरा


No comments:

Post a Comment