मिलता भी है और बीछड़ने की खता भी करता है
वो एक शख्स मेरे लिए रोज दुआ भी करता है,
अजीब ढंग से जीता है यारों वो ज़िन्दगी अपनी
रोज अपने लिए एक नया फैसला भी करता है,
कौन कहता है की वो तन्हा है, अकेला है
खलवत में खुद से वो बातें भी करता है,
मंसूब उस एक शख्स से बस इतना ही रहा 'मोहित'
मिल जाये किसी रहगुज़र में तो मुस्कुरा भी भरता है
~ मोहित दशोरा
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