साहित्य चक्र

29 February 2020

"तोहफ़ा/उपहार"



एक नन्हीं सी बच्ची जिसको पैदा होते ही कहीं फेंक दिया गया था मरने के लिए, पर उस रब की कृपा से उसे कोई औरत घर ले गई,उस औरत को उपहार के रूप में मां बनने का सौभाग्य मिला तो उस बच्ची को उपहार के रूप में नई जिंदगी, मां और परिवार मिला।

वह किसान जिसको अपने खेतों में सिर्फ हरियाली पसंद है, पानी ना मिलने से वो खेत बंजर हो चले, उस मायूस किसान के लिए पानी की एक-एक बूंद कोई उपहार से कम नहीं।

वो माता पिता जिन्होंने हमेशा अपने बच्चों की खुशी का ख्याल रखा, उनके ओढ़ने पहनने से लेकर उनकी पढ़ाई लिखाई हर चीज की पूर्ति की, उन माता-पिता के लिए उनके बच्चों की कामयाबी, बच्चों का माता-पिता के प्रति सही व्यवहार और वक्त ही उनके लिए सबसे बड़ा उपहार है और हर बच्चे के लिए उनके माता-पिता एक अनमोल उपहार से कम नहीं।

वह इंसान जो किसी दर्दनाक हादसे में भी जीवित बच गया, उस इंसान के लिए एक नई जिंदगी किसी उपहार से कम नहीं। वह बच्चे जो हमेशा से पढ़ना चाहते हैं स्कूल जाना चाहते हैं पढ़ लिख कर नाम कमाना चाहते हैं, लेकिन किसी वजह से उनको यह सब प्राप्त नहीं हो पाता, उन बच्चों को अगर कॉपी किताबें और पाठशाला जाने का मौका मिले तो उन बच्चों के लिए यह नई जिंदगी किसी उपहार से कम नहीं।

वह इंसान जिसको खाना देखना भी नसीब नहीं होता, जिसके पास सर ढकने के लिए छत तक नहीं है अगर उस इंसान को दो वक्त का खाना मिलने लगे और सर ढकने के लिए छत मिल जाए तो वह उसके लिए किसी तोहफे से कम नहीं।


हर इंसान के लिए हर एक नया दिन, हर वह चीज खाने के लिए खाना सर ढकने के लिए छत रहने के लिए घर और परिवार मिला है वो रब का एक अनमोल तोहफा ही होता है जिसकी हर इंसान को कद्र करनी चाहिए हर दिन को एक उपहार की तरह कबूल कर जिंदगी को सही से जीना चाहिए।

                                                         ©निहारिका चौधरी


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