साहित्य चक्र

09 February 2020

मेरे सपनों का भारत



मेरे सपनों का भारत कहां होगा
लुटते अस्मिता नारी का देखा
ज्वाला बहती चिंगारी का देखा,
मानवता को गिरते देखा
उजाले को घिरते देखा,
मेरे सपनों का भारत कहां होगा
कृषि प्रधान देश का नाम है
कृषक को आत्महत्या करते देखा,
बदनाम गिरगिट रंग बदलने में
माहिर नेताओं को इसमें देखा,
मेरे सपनों का भारत कहां होगा
स्वतंत्रता नाम है संविधान की
आम आदमी को घुटते देखा,
महापुरुषों के नाम पर
राजनीति को लूटते देखा,
युवाओं की बात होती है
बेरोजगारी में जलते देखा,
मेरे सपनों का भारत कहां होगा।।

                                   अभिषेक कुमार शर्मा


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