साहित्य चक्र

01 February 2020

जय हिंद! जय भारत!! वीर जवानों



अंग्रेजों ने किया बहुत अत्याचार भारत पर काबिज थे।
सोने के देश को लूट ले गये कैसे वो काबिल हो गये ।।

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं
लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं




भारत की जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये ।
माता बहन बेटियों के, इज्ज़त धन सम्मान लुट ले गये ।।

बिक गये धरम लुट गये करम, सब ओर गुलामी बू छायी ।
प्राचीन सभ्यता संस्कृति गौरव, हम भूल गये हम सच्चाई ।।

ब्राह्मण कहता हम सर्वशेष्ट, छत्रिय कहता हम शासक है ।
बनिया कहता हम धन कुबेर, हरिजन अछूत बस सेवक है ।।

मंदिर मस्जिद स्कूल सभी, जाना हरिजन को वर्जित था
ईश्वर था उच्च जातियों का, सब पुण्य उन्हीं को हासिल था ।।

बेकार अगर हो जाय अंग, मानव ताकत घट जाती है ।
सब लोग दबा सकते उसको, आबरू मान छिन जाती है ।।

भारतजन का एक बड़ा भाग, अंग्रेज़ों ने निष्क्रिय कर डाला था।
शक्तिहीन बना दिया था, कमजोर देश बना कर डाला ।।

हर वर्ग धर्म में फूट डाल, दंगे फ़साद करवाते थे ।
माल खजाना सबकुछ लूट ले गये वो अंग्रेज थे ।।
 
तब देख दशा भारत के नौजवानों का खून खौला ।
स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और अंग्रेज़ो को खदेड़ा ।।

स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत मिली आजादी हमें ।
रावत! नमन् हैं उनको और शहादत रहेगी अमर सदैव ।।


                                  सूबेदार रावत गर्ग उण्डू  'राज'


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