पलती हूँ मैं ममता की
छांव मे मुझसे सूसज्जित
हर घर आंगन
जगदंबा का प्रतिरूप
लेकर सुख-सौभाग्य से भरु
हर घर आंगन
प्यारी हूं मैं हरेक की
किलकारियों से गूँजता
हर घर आंगन
खुद के अरमानों की
कद्र न करती चहकु मै
हर घर आंगन
हर रिश्ते को दिल
से निभाऊ है मुझसे रोशन
हर घर आंगन
✍ राज शर्मा
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