आराधना के स्वर
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विद्या की देवी माँ शारदे से
आराधना करता हूँ।
मैं दो हाथ फैलाकर
बस दुआ मांगता हूं।।
मेरी कलम मैं ताकत दे।
अल्फ़ाज़ों का खजाना दे।।
मैं गरीबों का दर्द बांट सकूँ।
अपनी कलम से भला कर सकूं।।
जो काम नहीं करते कलम से।
ओर गरीब दम तोड़ देता बेचारा।।
ऐसे लोगों के जख्म भर सकूँ।
मां पैनी कलम बने ऐसी ताकत दें।।
मेरे शब्दों से दूसरों को हौंसला मिले।
जो भी मुझसे मिले दिल से गले मिले।।
माँ सुर में इतनी मिठास दें कि
जो सुनें निहाल हो जाएं।
कटे जन्म के बंधन
और जीवन संवर जाए।।
डॉ. राजेश पुरोहित
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