साहित्य चक्र

14 February 2020

निःस्वार्थ भाव से कर्म करें

कर लो जो तुम्हें करना है 





दुनिया की सोचो नहीं क्यों दुनिया से डरना है
किसने रोका है तुम्हें कर लो जो तुम्हें करना है।


क़दम बढ़ाओगे आगे तो धुंध स्वयं छट जायगी
ख़ुद ही तय करना होगा लड़ना है या मरना है।


कोष भरें बेहद जग में प्रस्तर अरु नवरत्नों के
निर्णय लेना होगा किससे जीवन को भरना है।


निःस्वार्थ भाव से कर्म करें जग हित की सोचें
पाप-पुण्य-मोह अरु माया के बंधन से तरना है।


नकारात्मक पक्षों से मन को बचाना है साथी
सत्य धर्म की कसौटी पर पल पल स्वयं को धरना है।



                                     अनामिका वैश्य आईना


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