साहित्य चक्र

01 February 2020

*उल्लास और उमंग का पर्व- बसंत पंचमी*



भारत मे  बसंत पंचमी का त्यौहार माघ शुक्ल पंचमी को बड़े उत्साह और उमंग से मनाया जाता है।बसंत पंचमी  पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आगमन होता है।बसंत ऋतु में मौसम बहुत सुहावना होता है।न अधिक सर्दी होती है और न अधिक गर्मी।फिर धीरे धीरे तापमान गर्म होने लगता है। शिशिर के बाद बसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति का यौवन भी अंगड़ाई लेने लगता है। पशु-पक्षी भी उमंग और उत्साह से चहकने लगते हैं ।खेत खलियान में सरसों की लहराती, अठखेलियां करती पीले फूलों की चमक और केसरिया फूलों की महक वातावरण को और सुगंधित बना देती है।पीले पीले फूल ऐसे खिल खिलाने लगते है जैसे वो ऋतुओं के राजा बसन्त का स्वागत करने को आतुर हो। वृक्षो पर नई कोपल आने लगती है। ऋतु परिवर्तन से प्रकृति का श्रृंगार यौवन पर होता है जिसकी छटा सबका मन मोह लेती है। इन विशेषताओं के कारण बसंत को ऋतु  का  राजा कहा जाता है।

 *मां सरस्वती का अवतरण दिन*

बसंत पंचमी के दिन विद्या और ज्ञान की देवी वीणा वादिनी मां सरस्वती का जन्मदिन भी है, इससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है ।बसन्त ऋतु के स्वागत के लिए भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है।दिन में मां सरस्वती का जन्मोत्सव  के रूप में मनाया जाता है।

ऋग्वेद में मां सरस्वती का उल्लेख करते कहा है:-
"प्रणो देवी सरस्वती
वाजे भिर्वजिनिवती
धिनामणित्रयवतु"

अर्थात मां आप परम् चेतना हो।देवी सरस्वती के रूप में आप हमारी बुद्धि,प्रज्ञा तथा मनोवृतियों की संरक्षिका हो।हम में जो आचार और मेघा है ,उसका आधार आप ही हो मां। ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा शिक्षक ,कवि, लेखक, गायकार, और कलाकार, विद्यार्थी करते हैं। कई बुद्धिजीवी, प्रबुधजन मां सरस्वती को अपना ईस्ट देव मानकर  आराधना करते हैं। विद्या की देवी सरस्वती की असीम कृपा जिस पर होती है, वह मधुर, सुशील और विद्या के धनी होते हैं ।

                                   

*पीले वस्त्र और व्यंजन का उपयोग करें*

बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए कुछ नहीं खाना चाहिए। स्नान करके पीले वस्त्र पहनकर मां सरस्वती के शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। पूजा में पीले व्यंजन जैसे लड्डू ,राजभोग, केसर बाटी, केसर का हलवा आदि का भोग लगाने से मां सरस्वती की असीम कृपा मिलती है।
 बसंत पंचमी के दिन अबूझ विवाह का मुहूर्त भी माना जाता है। और नवीन व्यवसाय, नवीन वाहन आदि भी खरीदना शुभ माना ना जाता है ।

                                                    डॉ. शम्भू पंवार


No comments:

Post a Comment