साहित्य चक्र

20 February 2020

मैं लिखूंगी

मैं लिखूंगी 


मैं लिखूंगी , जब तक हूँ मै लिखूंगी ,
मैं सरगम के सारे साज लिखूंगी ,
मैं  बीता कल आगामी आज लिखूंगी ,
अंतर्मन के जज्बात लिखूंगी ,
मैं अपने सारे अलफ़ाज़ लिखूंगी ,
मैं लिखूंगी .....


मैं मंदिर की घंटियों से चर्च की शांत आवाज़ लिखूंगी ,
मैं मज्ज़िद की अज़ान से गुरूद्वारे की अरदास लिखूंगी ,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई मैं सारी ही ज़ात लिखूंगी ,
धर्मों के बंटवारे की मैं एक एक बात लिखूंगी ,
मैं लिखूंगी .....


मैं भारत माँ की आन-बान-शान लिखूंगी ,
मैं प्राणों से प्यारा हिन्दुस्तान लिखूंगी ,
देश्प्रमियों के प्रेम की सौगात लिखूंगी ,
मैं देशद्रोहियों की भी औकात लिखूंगी ,
मैं लिखूंगी .....


मैं धरती प्रकृति अम्बुज आकाश लिखूंगी ,
बांसुरी कृष्ण की राम का वनवास लिखूंगी ,
मैं उंचाई पर्वत की सागर की प्यास लिखूंगी ,
मैं हर सुन्दर मूरत का शिलान्यास लिखूंगी ,
मै लिखूंगी .....


मै श्रांग प्रेम और प्रीत लिखूंगी ,
हास्य वीरता के सारे ही गीत लिखूंगी ,
हज़ारो हारो पर एक जीत लिखूंगी ,
सारी ऋतुएं  बरखा सावन शीत लिखूंगी ,
मै लिखूंगी .....


मैं बड़ी बड़ी बातों का छोटा सा सार लिखूंगी ,
प्रेम मानवता का ईश्वर की जय जयकार लिखूंगी ,
मैं जनम से मृत्यु तक के सारे किरदार लिखूंगी ,
रुकना नहीं है मुझको मैं बार बार लिखूंगी ,
मैं बार बार लिखूंगी || 

मैं लिखूंगी जब तक हूँ ...
मैं लिखूंगी ||

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