साहित्य चक्र

06 February 2020

मैं समय हूँ



 मैं समय हूँ 
फिर लौट कर आऊंगा 
 सब गमों को चीरकर 
 और ख़ामोशी से सबको 
 चुप करवा जाऊंगा।

 मैं समय हूं
 सब जानता हूं 
 इसीलिए घबराता नहीं 
 चुपचाप सुनता हूं 
 किसी को सुनाता नहीं। 

 मैं समय हूं 
 बीत कर भी मैं 
 फिर वापस भी आ जाता हूं 
 और जब आता हूं
 तो सब कुछ 
 अच्छा बुरा दिखा जाता हूं। 

 मैं समय हूं
 कभी रुकता नहीं 
थकता भी नहीं 
 फिर भी सब कुछ 
 बदल देता हूं
 अपने आगोश में। 

                                                राजीव डोगरा


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