साहित्य चक्र

26 February 2020

चंद्रशेखर आज़ाद




अपना नाम .......
आजाद ।
पिता का नाम ........
स्वतंत्रता बतलाता था।

 जेल को ,
अपना घर कहता था। 
भारत मां की,
जय -जयकार लगाता था।

भाबरा की ,
माटी को अमर कर।
उस दिन भारत का ,
सीना गर्व से फूला था ।

चंद्रशेखर आज़ाद के साथ ,
वंदे मातरम्.............
भारत मां की जय.......
देश का बच्चा-बच्चा बोला था।


जलियांवाले बाग की कहानी, 
फिर ना दोहराई जाएगी ।
फिरंगी को ,
देने को गोली.....आज़ाद ने ,
कसम देश की खाई थी ।


भारत मां का, 
जयकारा .......उस समय ,
जो कोई भी लगाता था ।

फिरंगी से वो.....तब,
बेंत की सजा पाता था ।
कहकर .......आजाद 
खुद को भारत मां का सपूत ,
भारत मां की,जय -जयकार बुलाता था।
 कोड़ों  से छलनी सपूत वो
 आजादी का सपना,
 नहीं भूलाता था।


अंतिम समय में ,
झुकने ना दिया सिर ,
बड़ी शान से ,
मूछों को ताव लगाता था।

हंस कर मौत को गले लगाया था।
आज़ाद.... 
आज़ादी के गीत ही गाता था।।


                                  प्रीति शर्मा "असीम "


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