अपना नाम .......
आजाद ।
पिता का नाम ........
स्वतंत्रता बतलाता था।
जेल को ,
अपना घर कहता था।
भारत मां की,
जय -जयकार लगाता था।
भाबरा की ,
माटी को अमर कर।
उस दिन भारत का ,
सीना गर्व से फूला था ।
चंद्रशेखर आज़ाद के साथ ,
वंदे मातरम्.............
भारत मां की जय.......
देश का बच्चा-बच्चा बोला था।
जलियांवाले बाग की कहानी,
फिर ना दोहराई जाएगी ।
फिरंगी को ,
देने को गोली.....आज़ाद ने ,
कसम देश की खाई थी ।
भारत मां का,
जयकारा .......उस समय ,
जो कोई भी लगाता था ।
फिरंगी से वो.....तब,
बेंत की सजा पाता था ।
कहकर .......आजाद
खुद को भारत मां का सपूत ,
भारत मां की,जय -जयकार बुलाता था।
कोड़ों से छलनी सपूत वो
आजादी का सपना,
नहीं भूलाता था।
अंतिम समय में ,
झुकने ना दिया सिर ,
बड़ी शान से ,
मूछों को ताव लगाता था।
हंस कर मौत को गले लगाया था।
आज़ाद....
आज़ादी के गीत ही गाता था।।
प्रीति शर्मा "असीम "
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