साहित्य चक्र

14 February 2020

बेबफा


जब भी अपने सवालों का ज़बाब मांगा हमने
अपने आपको तन्हा फिर से वही पाया हमने


न तब कह पायें थे हम उनसे अपनी बातों को
रोते देखते रहे थे और आज भी न कह पाया हमने


सोचा था कह दुं हर सितम आज उनसे उनकी
लो आज फिर एक बार दिल को रूसवा किया हमने


अपनी बेबफाई पर मुस्कुरा रहे थे वो, हम उनके बेहयायी
पर सोच रहे थे ये दिल लगाया भी था तो किससे हमने

                                             रश्मि


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