साहित्य चक्र

12 February 2021

*गुमसुम दोस्त*




ऐ दोस्त आजकल तू क्यों रहती है इतनी ख़फ़ा।
जऱा बता कौन नहीं  निभा पाया है तुझसे वफ़ा।।

चाहकर भी  अभी तक  भुला  नहीं पाई  उसे तू।
ऐसी कौनसी  पिला दी  तुझे मोहब्बत की दवा।।

वो तो बिछड़कर चले गए  तुम्हें तन्हा  छोड़ कर। 
अब  ग़म  को  भुला  और  दर्द  को  कर  दफा।।

इतनी सिद्दत से मोहब्बत की है तूने,बेकसूर है तू।
ज़रा  खुद को  देख कैसी बना  ली अपनी दशा।।

तेरी खामोशी सब कुछ बयां कर  गयी मेरे दोस्त।
तरस आ रहा तुझ पर मत दे अब खुद को सजा।।

एक सितारा टूटने से आसमाँ की रौनक नहीं जाती
वो भूल  गए तो क्या हुआ अब आएगी  नई हवा।।

                                                          अरविन्द कालमा


3 comments:

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  2. वाह... बहुत सुंदर लिखे हो अरविंद जी..!👌👌👍

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