साहित्य चक्र

26 June 2021

भारत मेरी शान




गर्व से लहराता तिरंगा,

कल-कल बहती पवित्र गंगा 


बर्फ़ से ढकीं हिमालय की चोटियाँ,

मक्खन में लिपटी बाजरे की रोटियाँ 


वीर सैनिकों का बल,खेतों में चलते हल,

यहाँ विदेश में याद आते हैं पल-पल।


मेरा वतन मेरी शान ,

करूँ इसका जन्मों गुणगान।


अमरीका से श्रीलंका,

भारत का बज रहा है डंका।


आकर देख ले बाहुबल हमारे वीरों का,

जिसे तनिक भी हो शंका।


इसके रूप हैं निराले,

भगवान यहाँ खुद उतरे बन ग्वाले।


कहीं रेगिस्तान में पड़ें पैरों में छाले,

कहीं बर्फ़ से ढके हैं इसके पर्वत निराले।


यहाँ नीम और पीपल की छाँव,

बैलों की घंटियों से गूँजे गाँव 


है यही वो पावन धरा ,

राम-कृष्ण के पड़े थे जहाँ पाँव।


खुले यहाँ सबके लिए भक्ति द्वार ,

कन्याकुमारी से लेकर हरिद्वार।


वीरों की यहाँ अदभुत गाथाएँ हैं,

पूजनीय कवियों के अतुलित ग्रंथ हैं।


वैज्ञानिकों की असंख्य उपलब्धियाँ हैं,

मनमोहक त्योहारों के यहाँ मेले हैं।


गर्व हमें अपने वीर सैनिकों पर है,

जिनके सुबह-शाम तूफ़ानों में ढलते हैं।


हम सो पायें चैन से,

इसलिए वो पलकें नहीं झपकते हैं 


शीश झुकाकर नमन उन्हें हम करते हैं,

होली,ईद,दीवाली जिनके,सरहदों पर मनते हैं।


आओ इस गणतंत्र दिवस मिलकर लें ये प्रण,

घर-घर हो ख़ुशहालीखेतों में रियाली,

हर इंसान बनकर माली करे देश की रखवाली।


मान रहे सदैव तिरंगे का,

सुबह-शाम पूजन हो गंगा का।


नामों-निशान नहीं रहे दंगे का,

देशभक्ति से भर जाये हृदय हर बंदे का।


महकता रहे भारत रूपी चमन,

प्रगति इसकी चूमे गगन।


मातृभूमि को शत्-शत् नमन,

सोने की चिड़िया कहलाये सदा मेरा वतन 


                     इंदु नांदल 



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