लिखते बहुत लोग हैं
लेकिन लिखा हुआ किसी का
तब तक बेमिसाल नहीं,
पढ़कर उसे किसी के हृदय में
जब तक आता उबाल नहीं।
पढ़ते बहुत लोग हैं
लेकिन पढ़ा हुआ किसी का
तब तक बेमिसाल नहीं,
बोल कर पेश ना करे उसकी वो
जब तक कोई मिसाल नहीं।
बोलते बहुत लोग हैं
लेकिन बोला हुआ किसी का
तब तक बेमिसाल नहीं,
सुनकर उसे विश्वास करने का
जब तक होता कमाल नहीं।
सुनते बहुत लोग हैं
लेकिन सुना हुआ किसी का
तब तक बेमिसाल नहीं,
उतार कर जिसे फौरन मन में
अमल में लाता इंसान नहीं।
जितेन्द्र 'कबीर'
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