साहित्य चक्र

19 June 2021

जन्मदिवस खास हो जायेगा




आज ऐसे जन्मदिवस कुछ हैं मनाते। 
जो केक पे  नाम हैं उसका गुदवाते।। 
खुशी खुशी हैं काटते उस केक को। 
अरे बड़े चाव से हैं खाते उसको।। 

मोमबत्तियों के घेरों में रखते। 
बरस का दीप जलाकर।। 
और अन्त में करताल ध्वनियों से। 
उस जले दीप को हैं बुझाते।। 

आखिर आज ये कैसी रीति है आयी। 
जन्मदिवस को है मनाने की।। 
पहले उसको खूब सजाकर। 
अन्त में उसको खाने की।। 

जलसा कोई अल्प ना होता। 
छत्तीस प्रकार के व्यंजन होते।। 
मधुशाला भी खूब सजी रहती। 
मदिरा पानी की तरह है बहता।। 

करो जश्न तुम खूब बेशक पर। 
भूलो  मत अपने रीति रिवाज।। 
दो निवाले भूखे को दे कर। 
धूमिल न होगा तुम्हारा मिजाज़।। 

दुआ भी मिलेगी ओहदा भी बढ़ेगा। 
जश्न को दीत्सा  में बदलने से।। 
जन्मदिवस खास हो जायेगा।
नेक करम अर परोपकार करने से।।


                                    कैलाश उप्रेती "कोमल"
                   


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