साहित्य चक्र

05 June 2021

सुहानी सुबह




नवल प्रात की नई किरण ने,
छटा विकट फहराई,
दूर हो गया तम तुरंत ही  ,
नई सुबह है आईं ।

नन्ही नन्ही चिड़ियां चहकीं,
और चहकते  बच्चे,
चींचीं करके दाना मांगे 
सबको लगते  अच्छे।

फुदक फुदक कर प्यारी कोयल ,
मीठे स्वर में गाती ,
झट उठ जाओ प्यारी गुड़िया,
सही बात समझाती 

कुल्ला मंजन करके गुड़िया 
झट पट नाश्ता खा लो,
हम भी दाना मांग रहे है,
हमको भी तो डालो ।


                       कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव


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