साहित्य चक्र

20 June 2021

"उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं"




हौसले की उड़ान भर तू राही, कभी थमना नहीं... 
चलता चल जीवन पथ पर, क्यूंकि... 
उम्मीदों  का आकाश कभी झुकता  नहीं.. 
बाधाएं तो आएँगी, पर निराश होना नहीं... 

घड़ी है अग्निपरीक्षा की, राही तू डरना नहीं.... 
 चाहत है गर, मंजिल को पाने की.. राही तू भटकना नहीं... 
भरोसा है गर, खुद पर और खुदा पर, राही तू थमना नहीं..... 
मंजिल खुद चलकर आएगी, मार्ग से अपने हटना नहीं.... 

क्युकी उम्मीदों  का आकाश कभी झुकता  नहीं...
जबतक हो एक भी साँस बाकि, 
तबतक जीने की चाह छोरना नहीं.. 
करो वही, जो सोचा है, समय कभी थमता नहीं... 

मुस्कुराकर गम भूलाता चल राही 
बेकार का गट्ठर उठाकर चलना नहीं.... 
ये दुनियाँ तो रैनबसेरा है, किसीको यहाँ रहना नहीं.... 
जो आया है, सो जायेगा, व्यर्थ के जाल में फसना नहीं... 
प्यार लुटाता चल सभी पर, मुख कभी किसी से मोरना नहीं.... 

अपने भी होंगे, सपने भी होंगे, 
अपनों के बिना जीवन नहीं.... 
क्युकी उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं...... 

ॐ शांति 

                                              ब्रह्मकुमारी मधुमिता 


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