साहित्य चक्र

26 June 2021

आदमी आदमी में कितना फर्क है



धमनियों का रक्त सड़कों पर नहीं 
किसी की रगों में बहना चाहिए
इधर उधर क्यों बर्बाद करते हो इसे
सही जगह ही यह रहना चाहिए

किसी की भी रगों में जो दौड़ रहा
उस लहु का रंग तो लाल है
एक दूसरे के पीछे पड़ा इंसान
फिर क्यों हुआ बेहाल है

जब पड़ती है ज़रूरत किसी को खून की
दूसरे का खून चढ़ा कर ज़िन्दगी बचा लेते हैं
हिन्दू मुस्लिन सिख इसाई किसी का भी हो
बच जाए ज़िन्दगी एकदम चढ़ा देते हैं 

खून के रिश्तों से भी बढ़ कर बन जाते है
वो रिश्ते जो फिर उम्रभर निभाये जाते हैं
समय पर काम आए जो किसी के
वही तो सच्चे रिश्ते कहलाते हैं

किसी की जान बच जाएगी
जो एक कतरा लहू का दान किया
कोई दान इससे बढ़ कर नहीं
खून दान करके काम महान किया

आदमी आदमी में कितना फर्क है
एक है जो निर्दोषों का खून बहाता है
एक वह है इंसानियत का फरिश्ता
जो खून देकर दूसरे की जान बचाता है

                                         रवींद्र कुमार शर्मा


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