साहित्य चक्र

05 June 2021

ये हवाएँ


ये हवाएँ....मन को चीरते हूए.....
मेरी रूह को छेड़ रही है.....
लगता है....छू कर तुम्हें.....
मेरी ओर बड़ रही  है.....
ये हवाएँ.....कुछ कह रही है......
लेकर तुम्हारा नाम बह रही है.....

गंध तुम्हारा.....
स्पर्श तुम्हारा.....
एहसास एक नया सा साँसों में खोल रही है.....
उलझ कर मेरे बालों से खेल रही है.....
ये हवाएँ.....कुछ कह रही है......
लेकर तुम्हारा नाम बह रही है.....

बार बार टकराकर मुझसे.....
बस एक ही आवाज मेरे कानों में दे रही है.....
भटकाकर मुझकोे मुझ से......
तुम्हारा नाम मेरे ध्यान में भर रही है....
ये हवाएँ.....कुछ कह रही है......
लेकर तुम्हारा नाम बह रही है.....

कभी दायीं तरफ से.....तो
कभी बायीं तरफ से.....
अपने भँवर में मुझे ये कैद कर रही है.....
आकर मेरे करीब तुम्हारी याद दे रही है.....
ये हवाएँ.....कुछ कह रही है......
लेकर तुम्हारा नाम बह रही है.....

एक मधुर स्वर में कोई.....
नयी धुन पीरो रही है.....
मेरी साँसों में समाकर......
प्रभु का आभास करा रही है......
ये हवाएँ.....कुछ कह रही है......
लेकर किशन तुम्हारा नाम बह रही है.....

         
                        कुमारी आरती सुधाकर


No comments:

Post a Comment