साहित्य चक्र

06 June 2021

" पर्यावरण संरक्षण "




प्रकृति  हमारी   है  उपकारी ,

उसे  बचाने  की   अब  बारी ।

छोटे-बड़े  एक मंच पर आयें ,
सब  मिल  योजनायें  बनायें ।

इधर - उधर   कहीं  न  जायें ,
आओ सब  शौचालय बनायें ।

प्रदूषित  करे  न  कोई   जल ,
नहीं तो संकट  आयेगा  कल ।

गन्दी  यदि  हो  जायेगी  हवा ,
मिल  नहीं पायेगी  फिर  दवा ।

बहुत  बुरा  है  ध्वनि  प्रदूषण ,
इसे भी दूर करें सब प्रतिक्षण ।

सुनलो  नानी  सुन  लो  दादी ,
अन्न की करें न  कभी बर्वादी ।

घर में रुके न  कहीं भी  पानी ,
होती  इससे  बहुत  है   हाँनी ।

जगह-जगह मच्छर पैदा होते ,
रात-दिन कोई सो नहीं सकते ।

मलेरिया   डेंगू   कहीं  बुखार ,
जिनसे   मानव   जाता   हार ।

पर्यावरण को स्वच्छ रखें  सब ,
तन  -  मन   शुद्ध  रहेगा   तब ।

ब्यर्थ  न  खर्चे  बिजली - पानी ,
घातक   सबको  इनकी   हाँनी ।

कोई   बच्चा  रहे   न   अनपढ़ ,
नहीं तो समझो बात है गड़बड़ ।

नशा कुसंग  से सब तोड़ें नाता ,
नहीं तो  मानव  व्यर्थ हो जाता ।

रिश्तों को सभी  मजबूत बनायें ,
मिल-जुल  समाज  आगे बढ़ायें ।

सामाजिक  प्रदूषण भी  भगायें ,
हर मानव को  मिलकर  जगायें ।

                                         डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी


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