साहित्य चक्र

06 June 2021

शहीद चन्द्रशेखर आजाद की कहानी



हम सुनाते हैं बलिदानो की कहानी,

 रगों में रक्त प्रवाह तेज हो जाता जब सुनते हम

 बलिदान बखानी,

आजाद है वो, आजाद ही थे ,

आजाद ही रहेंगे का नारा हम सुनते है!


थर-थर कांपते थेअंग्रेज,जब अंग्रेजों को लोहे के चने चबाये थे,

कौन रुका है और कौन झूका है,

यह इतिहास तूम आज जानोगे, 

आजाद है वो, ...जो भारत मां के लाल है कहलाते,

उनके बलिदानों के इतिहास को हम सूनाते है!


पेश हुए कारागृह में आजाद नाम बताया था,

चकित हुआ अंग्रेजी शासन, 

तब पिता स्वतंत्रता बतलाया था!

ऐसे ही बलिदानों के इतिहास को हम सूनाते है,

यह जग को यही नया संदेश सुनाते हैं!


आजाद था मैं, आजाद हूं मैं,

आजाद ही मैं कहलाऊंगा,

छेड़ दिया आजादी का संदेश, 

पूरा हिंदूस्तान तब डरा नहीं,

तब घूसकर अंग्रेजों को मार भगाया था!


झांसी की रानी से लेकर प्रेरणा,

अपना हिम्मत दिखलाया था,

उम्र ना पूछो,अब क्या जानोगे,

हिम्मत और साहस की बलिदानों को,

ककोरी काण्ड में अंग्रेजों को अपना लोहा मनवाया था!


साथियो संग आजादी का नारा, लेकर टूट पड़े अंग्रेजों पर,

ऐसे ही अंग्रेजों को स्वतंत्र, भारत का झलक दिखलाया था!


महान क्रान्तिकारी कहलाते हैं वो,

युवाओं के लिए प्रेरणा कहलाते हैं वो, 

युवाओं में देशभक्ति की भावना जागते हैं वो,

भारत मां की रक्षा करना, आज़ाद ने ही सिखलया था!


लोहा लिया अंग्रेजों से,

मुक्त कराया भारत मां को,

तन मन अर्पण किया,

झोंक दिया अपने बलिदानों को,

चाह नहीं थी, जीवित रहने की,

जीद थी भारत मां को आजाद कराने की,

ठान लिया,यह मान लिया,

पूर्णरूप से भारत मां को आजाद कराने की!


तब सबसे मिलकर आजादी की चिंगारी लगाई थी,

आजाद हूं मैं, आजाद ही था मैं,

आजाद ही रहूंगा कहलाऊंगा,

नहीं आये किसी अंग्रेजों के हाथ,

शान से,हंस कर और मूंछ में ताव लगया था,

भारत मां को बलिदान देकर गले लगाया था!


आशीष है ये क्या लिखेगा अब, उनके बलिदानों को,

देश भक्ति की आग युवाओ में जलना था,

बलिदानों से सिखो और प्यार करो भारत मां को,

याद करो कुर्बानी मां के लालों की,

जो झूके नहीं, जो रूके नहीं,

स्वतंत्र कराया भारत मां को देकर प्रणो की आहूति!


आशीष द्विवेदी समदरिया



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