साहित्य चक्र

12 June 2021

।। पिता ।।





रहता है सदा हाँथ सर पे
धूप से बचाता छाता जैसे
कठोर भी है कोमल भी वो
नारियल के ऐसे रहता जैसे

कमी नहीं होने देते कुछ भी
चाहे जैसे हो करते सबकुछ
आभास नहीं होने देते है
अंदर ही  सहते सबकुछ

पिता ही है हमारी पहचान
जो बनाते जीवन को आधार
हर पल हमारा साथ वो देते
करते हमारे जीवन को साकार

धूप में ऐसे ठण्डी छाया जैसे
देते हमारे जीवन को आकार
हर पल हमारा साथ वो देते
रहता है हमसे ही सरोकार

सोहबत है उनका हर समय
बच्चों पे रहता उनका करम
प्यार स्नेह भरपूर भरा दिल
यही मानते वो उनका धरम


                            ममता रानी


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