साहित्य चक्र

05 June 2021

।। किसान हूं ।।

सुनो मैं किसान हूं।


अपना दर्द नहीं बताता हूं।
कभी धूप में जलता हूं।
कभी बरसात में भीगता हूं।
फिर भी...
अपना कर्तव्य निभाता हूं।

सुनो मैं किसान हूं।

अपनी मजबूरी नहीं बताता हूं।
कभी खेतों में हल चलाता हूं।
कभी खेतों को पानी देता हूं।
फिर भी...
देश की सेवा करता हूं।

सुनो मैं किसान हूं।

दीप मदिरा


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