मानव बुद्धि बड़ी गजब ,
लोहा मानते उसका सब ।
उसकी ऐसी ऊँची छलांग ,
आसमान भी जाती लाँघ ।
मनुष्य जग मे करता है जो ,
बुद्धि का ही खेल है सब ओ ।
इतिहास या भूगोल की बात ,
ढूँडता रहता है दिन-रात ।
पहुँचाया है मानव चाँद पर ,
विचरण नव थल जल पर ।
विज्ञान के सब आविष्कार ,
मानव बुद्धि का ही चमत्कार ।
राजनीति - भाषा की बात ,
खोजता मिलकर के साथ ।
चित्रकला कृषि चाहे खेल ,
इनसे भी करवाता मेल ।
मानव बुद्धि का ही खेल ,
हवाई जहाज हो चाहे रेल ।
धरती के भीतर है खजाना ,
बुद्धि से मानव ने है जाना ।
योनि जो हैं चौरासी लाख ,
इसीलिए उनमें इसकी धाक ।
सबसे अधिक संवेदनशील ,
तन - मन में काम की जील ।
बुद्धि सभी चमत्कार दिखाती ,
ब्रह्माण्ड का ज्ञान सिखाती ।
चिकित्सा क्षेत्र के सभी शोध ,
मानव बुद्धी करवाती बोध ।
भूत वर्तमान और भविष्य ,
बुद्धि जानती सबका रहस्य ।
डॉ. सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी
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