साहित्य चक्र

20 June 2021

तुम्हारे साथ



मैं हर जगह हर पल
तुम में ही हूं।
तुम्हारे चेहरे पर आई
हर खामोशी में मैं हूं।

तुम्हारी आंखों में आई 
हर नमी में मैं हूं।
तुम्हारे गालों में आई
हर मुस्कान में मैं हूं।

तुम्हारे चेहरे पर आई
हर खुशी में मैं हूं।
तुम्हारी आंखों में बहते
हर अश्क में मैं हूं।

तुम जहां रहती हो
वहां की बहती
हवा की खुशबू में मैं हूं।

जहां तुम जाती हो
उस धरा की पगडंडी की
मिट्टी में मैं हूं।

                                          राजीव डोगरा 'विमल'


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