साहित्य चक्र

20 June 2021

थोड़ा सा चिंतन




बहुत बातें हो गई हों अगर
पैट्रोल के दाम पैंतीस रुपए पर लाने की,
तो थोड़ा सा चिंतन
उसके सौ पार जाने पर हो जाए।

बहुत बातें हो गई हों अगर
रसोई गैस मुफ्त में बांटे जाने की,
तो थोड़ा सा चिंतन
सब्सिडी चुपचाप खत्म किए जाने पर हो जाए।

बहुत बातें हो गई हों अगर
गरीबों को मुफ्त चावल दिए जाने की,
तो थोड़ा सा चिंतन
खाद्य तेलों के बेलगाम दामों पर हो जाए।

बहुत बातें हो गई हों अगर
जी.एस.टी. के फायदे गिनाने की,
तो थोड़ा सा चिंतन
चौतरफा टैक्स की मार पर हो जाए।

बहुत बातें हो गई हों अगर
विदेशों से काला धन वापस लाने की,
तो थोड़ा सा चिंतन
लोगों के सफेद धन से हाथ धो बैठने की हो जाए।

बहुत बातें हो गई हों अगर
आत्मनिर्भर भारत बनाने की,
तो थोड़ा सा चिंतन
लघु व मंझोले उद्यमों की खस्ता हालत पर हो जाए।

बहुत बातें हो गई हों अगर
विश्व गुरु बन छवि अपनी चमकाने की
तो थोड़ा सा चिंतन
रोज हजारों में जान गंवाते इंसानों पर हो जाए।


                                                  जितेन्द्र 'कबीर'

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