सोहन लाल द्विवेदी
( 22 फरवरी 1906- 01 मार्च 1988)
माँ सरस्वती के चरणों में,
झुककर मैं वन्दन करूँ।
मेरी लेखनी को शक्ति दो,
माँ तुमसे यही अर्चन करूँ।
राष्ट्रवादी कवि सोहन जी का,
मैं चरित्र चित्रण करूँ।
कुछ भी लिखने से पहले,
मैं उनका चरण वंदन करूँ।
उत्तरप्रदेश के फतेहपुर में,
देवतुल्य मानव ने जन्म लिया।
अपनी कृति की रश्मियों से,
इस धरा को पावन किया।
राष्ट्रीय नवजागरण का उत्प्रेरक बन,
त्याग और बलिदान का ज्ञान दिया।
राष्ट्रीयता की अलख जगाकर,
युग को इन्होंने आंदोलित किया।
गाँधीवाद के भावतत्व को,
वाणी देने का प्रयास किया।
माँ भारती की बेड़ियाँ तोड़ने,
तरुणाई का मार्ग प्रशस्त किया।
अपनी ओजपूर्ण रचनाओं से,
युग का नवनिर्माण किया।
देशप्रेम की भावनाओं से,
आमजनों का श्रृंगार किया।
द्विवेदी जी ने अपनी लेखनी से,
अमूल्य काव्यों का सृजन किया।
उनके अभियान गीतों ने देखो,
जनमानस का मन मोह लिया।
वीरों की गाथाओं को इन्होंने,
' भैरवी ' में संग्रहित किया।
जिसे सुनकर अंग्रेजों के,
मन में डर घर किया।
उत्तम कोटि की कविताओं से,
साहित्य को गौरवान्वित किया।
सन 1937 में दैनिक पत्र,
'अधिकार' का संपादन किया।
बालोपयोगी रचनाओं का भी,
इन्होंने खूब सृजन किया।
'पद्मश्री' की उपाधि देकर,
भारत सरकार ने इनको सम्मान दिया।
अनेक काव्यग्रंथो की रचना कर,
द्विवेदी जी ने हमें अनुग्रहित किया।
राष्ट्रकवि की उपाधि देकर,
जन-जन ने इन्हें संबोधित किया।
1 मार्च 1988 को इन्होंने,
नाश्वर जगत को त्याग दिया।
लेकिन अपनी अनुपम कृतियों से,
स्वयं को अमरत्व प्रदान किया।
ऐसे महान कवि को मैं,
कोटि-कोटि नमन करूँ।
यह तो है सौभाग्य हमारा,
इनका मैं गुणगान करूँ।
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'
No comments:
Post a Comment